हल्द्वानी हिंसा से छात्रों के भविष्य पर मंडराया संकट, छूटे प्रैक्टिकल; बोर्ड परीक्षाओं पर भी संकट

हल्द्वानी। 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा के बाद वहां अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। हालांकि आज की स्थिति सामान्य है और कर्फ्यू हटा दिया जाएगा।  लेकिन हिंसा के बाद से स्कूल पढ़ने वाले बच्चों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल चल रहे हैं। 15 फरवरी से सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं।

बवाल और कर्फ्यू के बीच छूटे बच्चों के प्रैक्टिकल

गृह विज्ञान की परीक्षाएं 16 तारीख से शुरू होने जा रही हैं। 27 फरवरी से उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। कर्फ्यू लगने के चलते बोर्ड एग्जाम देने वाले बहुत से छात्रों के प्रैक्टिकल की परीक्षाएं छूट गई हैं। 15 फरवरी से शुरू होने जा रहे सीबीएसई बोर्ड और गृह विज्ञान की परीक्षाओं पर भी संकट खड़ा हो गया है। फिलहाल शिक्षा विभाग इन छात्रों को राहत देने की बात कह रहा है, लेकिन एग्जाम से वंचित छात्र चिंतित नजर आ रहे हैं।

15 फरवरी से शुरू हो रहे सीबीएसई के एग्जाम

सीबीएसई बोर्ड और उत्तराखंड बोर्ड के प्रैक्टिकल के एग्जाम चल रहे हैं, लेकिन कर्फ्यू लगने के चलते बड़ी संख्या में छात्र प्रैक्टिकल नहीं दे पाए हैं। 15 फरवरी से सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा शुरू होने जा रही है, लेकिन इन बच्चों के सामने संकट खड़ा होने जा रहा है। खंड शिक्षा अधिकारी हल्द्वानी हरेंद्र मिश्रा ने बताया कि जिन बच्चों के प्रैक्टिकल छूट गए हैं, उनके लिए फिर से परीक्षाएं देने की व्यवस्था कराई जाएगी।

 शिक्षा विभाग ने की व्यवस्था 

उन्होंने बताया कि बनभूलपुरा कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में करीब चार हजार छात्र-छात्राएं हो सकते हैं, जिनको बोर्ड परीक्षा देनी है। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए जो भी बच्चे बोर्ड एग्जाम देने से वंचित हो जाते हैं, उनके लिए सीबीएसई से संपर्क स्थापित कर उनकी पुनः परीक्षाएं कराई जाने का प्रबंध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी छात्र-छात्रा का प्रैक्टिकल या बोर्ड एग्जाम छूटता है, तो उसके लिए अलग से व्यवस्था कर एग्जाम दिलाया जाएगा. बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।

 उत्तराखंड की बोर्ड परीक्षाएं 27 फरवरी से

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बोर्ड एग्जाम की परीक्षाओं में अभी समय है। तब तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है। सीबीएसई की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू हो रही हैं, ऐसे में इन बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश की जा रही है।

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